Monday, March 5, 2007

मेरा देशवासियों नमस्कार

भारत वासियों केलिये केरल से एक मामूली किसान कुच्छ बातों के विशकलन कर रहा हूँ। भारत की आबादी बड रहा हैं। लेकिन खाने पीने की चीजों की कमी शुरु होगया। साथ ही गुण भी गायब हो रहा हैं। क्यों कि जमीन कि जैव संपत्ति खतम हो रहा हैं। साफ मतलब यह हैं कि जमीन मर रहा हैं। जिंदा जमीन कि ऊपरी हिस्से में earth worms की कमी जरूरत से ज्यादा रासायनिक खाद और कीडे मकोडे केलिये जो जहर झिडकते हैं उसी वजह से हो रहा हैं। जो मनुष्य को हजम नहीं होगा वे पानि, मिट्टी, हवा और सौरोर्ज को भी हजम न्हीं होगा। यहाँ क्रृषि उद्योग जहरों के प्रचारक बनकर सर्वनाश की ओर हमें पहुँचाने में कठिन प्रयत्न कर रहे हैं।
जो जहर मनुष्य के मृत्यु के कारण हो सक्ता हैं, उसी जहर को थोडी मात्रा में पौधों को देने से वही जहर मनुष्य को धीरे धीरे मृत्यु की ओर ले जाता हैं। परंतु पौधे जहर की असर थीरे थीरे प्रकट कर्ता हैं। जहर की प्रयोग पैदावार जरूर बढायेगा लेकिन उसका प्रभाव आनेवाली पीडी पर जरूर होगा। वह पीडी अपाहिज, मंदबुद्धी, कर्क जोजी आदि के शिकार होने की संभावना शत प्रतिशत हैं।
जो जहर पेड पौधे या जमीन पर झिडकते हैं उसमें ज्यादा हिस्सा समुन्दर में पहूँचता हैं। बाकि कुच्छ पेड पौधे के अंदर और भूजल में मिल जायेगा। जो deepwell से mineral water मिलता था वह आज कल कीडे मकोडे खतम करने केलिये इसतेमाल कर सकते हैं। जो जहर समुन्दर में जैव संपत्ति के साथ पहूँचते हैं वह मछली को खाने का कीडों की पैदा होने नहीं देगा।
केरल में कासर्गोट (Kasargodu) जिले में काजू की पेडों में जो ‘एन्टोसलफान’ (Endosulfan) झिडक्ने पर इर्द गिर्द के इलाके में जो कुच्छ भुगत रहा हैं वह हम देख रहा हैं। केला कि पौदों में इस्तेमाल करनेवाला ‘कार्बोफुरान’ (Carbofuran) एन्टोसलफान से ज्याद जहरीला हैं। पिछले साल केरल में चूहों को मारने केलिये मुफ्त में ‘रोडोफे’ (Rodofe) नाम कि ‘ब्रोमोडियोलोण’ (Bromadiolone) दिया था वह इन सब से जहरीला था।
जय जवान जय किसान

2 comments:

S.Harilal said...

प्रिय चन्द्रशेखरन नायर महाशय,
आप की हिन्दी भाषा में लिखने की हिम्मत की दाद (प्रशंसा) देनी पडेगी, इसी तरह एक मलयालि होकर मैंने भी हिन्दी और उर्दू सम्मिश्रित "अपनों के बीच"नामक एक कविता लिखकर एक प्रयास किया है जिसे काफ़ी लोगो ने सवारा, परन्तु एक बात आप के समक्ष लाना चाह्ता हूं वो ये है की एक पौराणिक पुस्तक जिसका नाम "वृक्षायुरवेद" है उस में वृक्षों को आयुरवेद दवाईयों से बचाने का तरिका है उसे भी अन्य आयुरवेद शाखावों की तरह बढावा देना चाहिए,
कृपया इस विषय में भी कुछ लिखनेका प्रयास किजिये, धन्यवाद!

आपका शुभचिंतक,
एस्.हरिलाल

DHAMMIKA JAYASINGHE said...

very good. See my page.